Desi remedies for organic farming/खेती के देसी उपाय: जैविक खेती के लिए सस्ते और कारगर घरेलू नुस्खे
Intro
भारत में खेती सदियों से देसी और प्राकृतिक तरीके से होती आई है। लेकिन आज के समय में रासायनिक खादों और कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग मिट्टी, फसल और स्वास्थ्य – तीनों के लिए हानिकारक बन चुका है। ऐसे में अब फिर से किसान देसी और जैविक खेती की ओर लौट रहे हैं।
इस लेख में हम जानेंगे – खेती के देसी घरेलू उपाय
खेती के देसी उपाय: सस्ती, असरदार और जैविक खेती के लिए उपयोगी घरेलू नुस्खे
जैविक खाद कैसे बनाएं?
कीटों से कैसे बचाव करें?
बीजों को कैसे सुरक्षित करें?
मिट्टी की गुणवत्ता कैसे बढ़ाएं?
1. जैविक खाद के देसी तरीके (Desi Organic Fertilizer)
रासायनिक खाद के स्थान पर जैविक खाद (Organic Fertilizer) न केवल सस्ती होती है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाती है।
गोबर की खाद:
देशी गाय के गोबर को सुखाकर मिट्टी में मिलाएं।
1 एकड़ खेत में 4–5 टन खाद पर्याप्त होती है।
वर्मी कंपोस्ट (Vermicompost):
केंचुओं की मदद से घर या खेत में ही बनाया जा सकता है।
यह फसल की ग्रोथ और मिट्टी की गुणवत्ता दोनों बढ़ाता है।
फल और सब्जियों के छिलके से खाद:
किचन वेस्ट को गड्ढे में भरें, ऊपर से मिट्टी और गोबर डालें।
2–3 महीनों में बढ़िया खाद तैयार।
2. देसी कीटनाशक (Desi Pesticide for Pest Control)
रासायनिक कीटनाशकों से फसल को तो फायदा होता है लेकिन साथ ही ज़हर भी मिलता है। देसी विकल्प सुरक्षित और असरदार हैं।
नीम का छिड़काव:
1 किलो नीम की पत्तियों को उबालकर ठंडा करें।
इसे छानकर पानी में मिलाएं और स्प्रे करें।
गोमूत्र आधारित कीटनाशक:
5 लीटर गोमूत्र + 1 किलो नीम की पत्तियां + 1 चम्मच हल्दी
मिलाकर कम से कम 3 दिनों तक ढककर रखें और फिर छिड़काव में इस्तेमाल करें।
लहसुन-मिर्च स्प्रे:
100 ग्राम लहसुन + 100 ग्राम हरी मिर्च पीसकर 1 लीटर पानी में मिलाएं।
1 दिन रखने के बाद छानकर फसलों पर स्प्रे करें।
3. बीज शोधन के देसी उपाय (Seed Treatment)
बीज का संरक्षण बहुत ज़रूरी होता है ताकि बीमारियाँ न फैलें।
गाय के गोबर से बीज उपचार:
1 किलो बीज को 250 ग्राम गोबर व गोमूत्र के घोल में भिगोकर 1 घंटे रखें।
त्रिकोणमूल (Trichoderma) चूर्ण:
1 किलो बीज में 10 ग्राम चूर्ण मिलाएं।
यह कवक जनित रोगों से बचाता है।
4. मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के देसी तरीके
हरी खाद (Green Manure):
खेत में ढैंचा, सन आदि बोकर जोत देने से मिट्टी में नाइट्रोजन बढ़ती है।
जीवामृत का प्रयोग:
10 लीटर गोमूत्र + 10 लीटर गोबर + 2 किलो गुड़ + 2 किलो बेसन
200 लीटर पानी में मिलाकर 5 दिन सड़ने दें। हर हफ्ते 1 बार खेत में डालें।
मल्चिंग:
खेत की मिट्टी को पत्तों या सूखी घास से ढकने से नमी बनी रहती है और खरपतवार कम होता है।
5. देसी घरेलू फफूंदनाशक (Fungicide)
हल्दी और गोमूत्र मिश्रण:
1 लीटर गोमूत्र में 2 चम्मच हल्दी मिलाकर पत्तियों पर छिड़कें।
प्याज और लहसुन रस:
प्याज और लहसुन को पीसकर रस निकालें, ध्यान दे की पानी आपको 1:10 के अनुपात में ही मिलाना है ।
यह पत्तों पर फफूंद को रोकता है।
6. देसी उपायों से खेती का मुनाफा कैसे बढ़ाएं?
रासायनिक खर्च में बचत
मिट्टी की ताकत बनी रहती है
फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है
जैविक उत्पादों की कीमत बाज़ार में अधिक मिलती है
लंबे समय तक खेत उपजाऊ बना रहता है
🙋♂️ FAQs – खेती के देसी घरेलू उपायों से जुड़े सामान्य सवाल
❓1. क्या देसी खाद रासायनिक खाद का पूरा विकल्प हो सकती है?
हाँ, अगर सही मात्रा और समय पर प्रयोग किया जाए, तो देसी खाद पूरी तरह कारगर है।
❓2. देसी कीटनाशक कितने दिनों में असर दिखाता है?
इनका असर धीरे लेकिन स्थायी होता है। 3 से 5 दिनों में बदलाव दिखने लगता है।
❓3. वर्मी कंपोस्ट कितने दिनों में तैयार होता है?
सामान्यतः 45 से 60 दिनों में वर्मी कंपोस्ट तैयार हो जाता है।
❓4. क्या सभी फसलों पर नीम आधारित छिड़काव किया जा सकता है?
जी हाँ, नीम का स्प्रे लगभग सभी सब्जियों और अनाज की फसलों पर सुरक्षित है।
❓5. जीवामृत कितनी बार डालना चाहिए?
सप्ताह में एक बार या पखवाड़े में दो बार डालना उपयुक्त होता है।
वर्मी कंपोस्ट क्या है? (What is Vermicompost in Hindi)
निष्कर्ष (Conclusion)
खेती के ये देसी उपाय न केवल पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए अच्छे हैं, बल्कि किसान की लागत भी कम करते हैं। अगर आप अपनी जमीन को वर्षों तक उपजाऊ बनाए रखना चाहते हैं और कम खर्च में अच्छी फसल लेना चाहते हैं, तो इन घरेलू जैविक नुस्खों को ज़रूर अपनाएं।
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