Organic Farming Compost Use In Hindi / जैविक खेती में खाद का उपयोग

 

ऑर्गेनिक खेती में कम्पोस्ट का उपयोग: जानिए पूरी जानकारी आसान भाषा में | Organic Farming Compost Use in Hindi

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आज के समय में जब रासायनिक खेती के दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं, तब ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming) एक मजबूत और सुरक्षित विकल्प बनकर उभरी है। इसमें सबसे अहम भूमिका निभाता है – कम्पोस्ट खाद (Compost)

कम्पोस्ट न केवल मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है, बल्कि फसल को पोषण देकर पर्यावरण को भी सुरक्षित करता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि ऑर्गेनिक फार्मिंग में कम्पोस्ट का क्या महत्व है, इसे कैसे बनाएं और कैसे उपयोग करें।


कम्पोस्ट क्या होता है? (What is Compost in Organic Farming)

कम्पोस्ट एक प्रकार की जैविक खाद है, जो किचन वेस्ट, सूखी पत्तियाँ, गोबर, घास और अन्य जैविक सामग्री को सड़ाकर बनाई जाती है। यह खाद पूरी तरह प्राकृतिक होती है और मिट्टी को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाती।

कम्पोस्ट में आवश्यक पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम पाए जाते हैं जो फसल के लिए बहुत जरूरी हैं।


ऑर्गेनिक खेती में कम्पोस्ट का महत्व (Importance of Compost in Organic Farming)

  1. मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है
    कम्पोस्ट मिट्टी में जीवांश (organic matter) की मात्रा बढ़ाता है जिससे मिट्टी अधिक उपजाऊ बनती है।

  2. मिट्टी की संरचना सुधरती है
    इससे मिट्टी अधिक भुरभुरी हो जाती है और जड़ों को आसानी से ऑक्सीजन मिलती है।

  3. जलधारण क्षमता बढ़ती है
    कम्पोस्ट की मदद से मिट्टी में पानी को रोकने की क्षमता बेहतर होती है, जिससे सूखे के समय भी फसल सुरक्षित रहती है।

  4. रासायनिक उर्वरकों की जरूरत नहीं
    कम्पोस्ट के उपयोग से किसान रासायनिक खादों और कीटनाशकों से दूरी बना सकते हैं।

  5. पर्यावरण की रक्षा होती है
    कम्पोस्ट जैविक कचरे से बनता है जिससे प्रदूषण कम होता है और पर्यावरण संतुलित रहता है।


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कम्पोस्ट कैसे बनाएं? (How to Make Compost for Organic Farming)

✅ आवश्यक सामग्री:

  • सूखी पत्तियाँ और घास

  • सब्जियों के छिलके, फल आदि

  • गाय या भैंस का गोबर

  • रसोई का जैविक कचरा

  • थोड़ा सा मिट्टी और पुराना कम्पोस्ट (स्टार्ट करने के लिए)

 बनाने की विधि:

  1. स्थान का चयन
    छायादार और जलनिकासी वाली जगह चुनें।

  2. बेड बनाएं या गड्ढा खोदें
    ज़मीन पर 6x3 फीट का एक बेड या 2-3 फीट गहरा गड्ढा बना लें।

  3. परतें बिछाएं
    सबसे पहले सूखी पत्तियाँ, फिर गोबर, फिर किचन वेस्ट की परत डालें।

  4. नमी बनाए रखें
    हर 4-5 दिन में हल्का पानी डालते रहें। न ज़्यादा गीला हो, न सूखा।

  5. हर 10-15 दिन में उलट-पलट करें
    इससे हवा का संचार बना रहता है और सड़न तेज होती है।

  6. 45-60 दिन में तैयार
    जब खाद काली, भुरभुरी और मिट्टी जैसी खुशबू देने लगे तो समझें कम्पोस्ट तैयार है।


कम्पोस्ट का उपयोग कैसे करें? (How to Use Compost in Organic Farming)

* खेतों में:

  • बुवाई से पहले प्रति एकड़ 4-5 टन कम्पोस्ट मिट्टी में मिलाएं।

* गमलों में:

  • गमले की मिट्टी में 20-30% कम्पोस्ट मिलाएं।

* सब्जी की क्यारियों में:

  • बुवाई से पहले या फसल के बढ़ने के समय खाद मिलाना लाभकारी रहता है।

* फलदार पौधों में:

  • पौधे के चारों ओर  उपयुक मात्रा में खाद डालें और मिट्टी से अच्छी तरह से ढक दें। 




कम्पोस्ट के फायदे (Benefits of Using Compost in Organic Farming)

  • इससे फ़सलो की गुणवत्ता और स्वाद में इज़ाफ़ा होता है

  • कीटनाशक की जरूरत कम होती है

  • उत्पादन लागत में कमी आती है

  • मिट्टी के सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ती है

  • जलवायु परिवर्तन से होने वाले दुष्प्रभावों को कम करता है


कुछ सावधानियां (Precautions While Using Compost)

  • कचरे में प्लास्टिक, कांच या रसायनिक चीजें न मिलाएं

  • सड़ी-गली चीजों का संतुलित उपयोग करें

  • बहुत अधिक नमी न हो

  • धूप और बारिश से कम्पोस्ट को बचाएं


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs – Organic Farming Compost Use in Hindi)

Q1. ऑर्गेनिक फार्मिंग में सबसे अच्छा कम्पोस्ट कौन सा होता है?

उत्तर: वर्मी कम्पोस्ट, गोबर की खाद और घर में बना कम्पोस्ट सबसे बेहतर माने जाते हैं।


Q2. क्या कम्पोस्ट से सभी प्रकार की फसलों में फायदा होता है?

उत्तर: हां, कम्पोस्ट सभी फसलों – अनाज, सब्जी, फल, फूल – में उपयोगी है।


Q3. कम्पोस्ट कब और कैसे डालें?

उत्तर: बुवाई से पहले या फसल के बढ़ने के समय खेत में समान रूप से फैला दें और मिट्टी में मिला दें।


Q4. क्या कम्पोस्ट बनाने में समय लगता है?

उत्तर: हां, सामान्यतः 45 से 60 दिन में कम्पोस्ट पूरी तरह तैयार हो जाता है।


Q5. कम्पोस्ट और वर्मी कम्पोस्ट में क्या अंतर है?

उत्तर: कम्पोस्ट आम जैविक कचरे से बनता है, जबकि वर्मी कम्पोस्ट केंचुओं की मदद से बनाया जाता है, जो और अधिक पोषक होता है।


निष्कर्ष (Conclusion)

ऑर्गेनिक खेती में कम्पोस्ट एक मजबूत स्तंभ की तरह है। यह न केवल मिट्टी की गुणवत्ता सुधारता है बल्कि किसानों की लागत को भी घटाता है और पर्यावरण को भी सुरक्षित रखता है। हर किसान को अगर टिकाऊ और लाभकारी खेती करनी है, तो कम्पोस्ट का उपयोग करना बेहद जरूरी है।


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