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जैविक खेती करने के लिए कौन-कौन से प्रमाणपत्र जरूरी हैं? पूरी जानकारी हिंदी में/Which certificates are required for organic farming? Complete information in Hindi

 जैविक खेती करने के लिए कौन-कौन से प्रमाणपत्र जरूरी हैं? पूरी जानकारी हिंदी में/Which certificates are required for organic farming? Complete information in Hindi


जैविक खेती करने के लिए कौन-कौन से प्रमाणपत्र जरूरी हैं?




आज के समय में लोगों में जैविक (Organic) खाद्य पदार्थों की मांग तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में किसान और व्यवसायी जैविक खेती की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। लेकिन अगर आप अपने उत्पाद को Organic Product के नाम से बाजार में बेचना चाहते हैं तो इसके लिए कुछ जरूरी प्रमाणपत्र (Certificates) लेना होता है। बिना प्रमाणपत्र के आप अपने प्रोडक्ट को कानूनी रूप से 'जैविक' नहीं कह सकते।

इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि जैविक खेती के लिए कौन-कौन से प्रमाणपत्र जरूरी होते हैं और उन्हें कैसे प्राप्त किया जाता है।


जैविक खेती में प्रमाणपत्र क्यों जरूरी होते हैं?

जैविक खेती में प्रमाणपत्र इसलिए जरूरी होता है ताकि आपके उत्पादों की सच्चाई, गुणवत्ता और विश्वसनीयता साबित हो सके। बिना सर्टिफिकेट के कोई भी किसान या व्यापारी अपने उत्पाद को 'Organic' कहकर बेच नहीं सकता। बाजार में खरीदार, कंपनियां और निर्यातक केवल उन्हीं उत्पादों को खरीदते हैं जिनके पास सर्टिफाइड ऑर्गेनिक का प्रमाण होता है।


भारत में जैविक खेती के लिए जरूरी प्रमाणपत्र (Certificates for Organic Farming in India)

1️⃣ NPOP (National Programme for Organic Production)

👉 यह भारत सरकार की सबसे बड़ी और मान्यता प्राप्त स्कीम है।

👉 इसके तहत किसान या संस्था को Organic Certification दिया जाता है।

👉 इस प्रमाणपत्र से किसान भारत के साथ-साथ विदेशों में भी अपने प्रोडक्ट निर्यात कर सकते हैं।


सर्टिफिकेशन देने वाली एजेंसियां (Accredited Bodies):


  • ECOCERT

  • OneCert

  • SGS India

  • Control Union

  • INDOCERT


2️⃣ PKVY (Paramparagat Krishi Vikas Yojana)

👉 यह योजना भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही है।

👉 इसके तहत किसानों को ग्रुप के रूप में जैविक खेती करने पर आर्थिक सहायता और सर्टिफिकेट मिलता है।

👉 इसमें PGS (Participatory Guarantee System) के तहत किसानों को स्थानीय स्तर पर ऑर्गेनिक प्रमाणपत्र दिया जाता है।


3️⃣ PGS-India (Participatory Guarantee System India)

👉 छोटे और मध्यम किसान जिन्हें लोकल मार्केट में जैविक उत्पाद बेचना होता है, उनके लिए यह सबसे आसान और सस्ता तरीका है।

👉 इसके तहत किसानों के समूह आपसी सहमति और नियमों के आधार पर खुद को प्रमाणित करते हैं।

👉 इसे भारत सरकार और FSSAI भी मान्यता देता है।


जैविक सर्टिफिकेट लेने की प्रक्रिया (How to Get Organic Certification in India)

 Step-by-Step Process:

1. सबसे पहले अपने खेत, फसल और खेती पद्धति की पूरी जानकारी एकत्र करें।

 2.किसी मान्यता प्राप्त सर्टिफिकेशन एजेंसी (जैसे Ecocert, Control Union) से संपर्क करें।

3. आवेदन करें और जरूरी दस्तावेज जमा करें (खेत का नक्शा, फसल की जानकारी, पिछले 3 साल का विवरण)।

4. एजेंसी आपके खेत का निरीक्षण (Inspection) करेगी।

5.  खेती का तरीका और रिकॉर्ड अगर मानकों के अनुरूप हुआ तो सर्टिफिकेट मिलेगा।


जरूरी दस्तावेज (Required Documents):

✔️ जमीन के कागजात / पट्टे की कॉपी

✔️ फसल और खेती पद्धति की जानकारी

✔️ पिछले 3 साल के खेती रिकॉर्ड (अगर संभव हो)

✔️ आवेदन पत्र (Certification Agency के फॉर्मेट में)


जैविक खेती प्रमाणपत्र के फायदे (Benefits of Organic Certification):

🌱 आपके प्रोडक्ट की विश्वसनीयता और पहचान बढ़ती है।

🌱 प्रोडक्ट को जैविक (Organic) कहकर कानूनी रूप से बेचा जा सकता है।

🌱 बाजार में बेहतर रेट और अंतरराष्ट्रीय मार्केट में निर्यात का मौका।

🌱 ग्राहक आप पर ज्यादा भरोसा करते हैं।

🌱 सरकारी योजनाओं और सब्सिडी में आसानी से फायदा मिलता है।


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जैविक खेती प्रमाणपत्र के बिना नुकसान (Risk Without Certification):

❌ बाजार में आपके प्रोडक्ट को जैविक मान्यता नहीं मिलेगी।

❌ FSSAI के नियमों के तहत बिना सर्टिफिकेट ऑर्गेनिक बोलना गैरकानूनी है।

❌ बड़ी कंपनियां या निर्यातक बिना सर्टिफिकेट के माल नहीं खरीदते।


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ) - जैविक खेती सर्टिफिकेट के बारे में

1️⃣ क्या हर किसान को जैविक प्रमाणपत्र लेना जरूरी है?

उत्तर: अगर आप अपने उत्पाद को 'Organic' कहकर बेचना चाहते हैं तो हां, सर्टिफिकेट जरूरी है। लोकल गांव या खुद के उपयोग के लिए जरूरी नहीं है।


2️⃣ PGS और NPOP में क्या फर्क है?

उत्तर:


NPOP: बड़े किसान, निर्यात और अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए।


PGS: छोटे किसान और लोकल मार्केट के लिए सस्ता और आसान तरीका।


3️⃣ सर्टिफिकेट लेने में कितना खर्च आता है?

उत्तर:


PGS-India में खर्च बहुत कम या लगभग मुफ्त होता है।


NPOP सर्टिफिकेट में 10,000 से 50,000 रुपये तक का खर्च आ सकता है (फार्म के साइज पर निर्भर)।


4️⃣ सर्टिफिकेट कितने साल के लिए वैध होता है?

उत्तर: सामान्यतः यह 1 साल के लिए होता है। हर साल नवीनीकरण (Renewal) कराना पड़ता है।


5️⃣ कौन-कौन सी संस्था सर्टिफिकेशन देती है?

उत्तर: ECOCERT, OneCert, SGS, Control Union, INDOCERT जैसी संस्थाएं भारत में अधिक लोकप्रिय हैं।


निष्कर्ष (Conclusion):

अगर आप जैविक खेती से ज्यादा कमाई और पहचान पाना चाहते हैं तो सही सर्टिफिकेट लेना बेहद जरूरी है। इससे आपके उत्पाद की कानूनी मान्यता बढ़ती है और ग्राहकों का भरोसा भी। भारत सरकार के PGS और NPOP दोनों सिस्टम आपके लिए अलग-अलग जरूरतों के हिसाब से फायदेमंद हो सकते हैं।

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