आर्गेनिक Farming Certification के लिए खेत की साइज जरूरी है क्या?

  आर्गेनिक Farming Certification के लिए खेत की साइज जरूरी है क्या?

आजकल लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हो रहे हैं और ऑर्गेनिक यानी जैविक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में कई किसान जैविक खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं और चाहते हैं कि उन्हें भी Organic Certification मिल जाए। लेकिन बहुत से छोटे किसान एक सवाल लेकर उलझन में रहते हैं:


आर्गेनिक Farming Certification के लिए खेत की साइज जरूरी है क्या?


"क्या जैविक सर्टिफिकेशन के लिए खेत का बड़ा होना जरूरी है?"


  1. "क्या छोटे खेत वाले किसान भी ऑर्गेनिक प्रमाणपत्र ले सकते हैं?"
  2. इस लेख में हम इन्हीं सवालों के जवाब विस्तार से समझेंगे।


🧾 1. जैविक सर्टिफिकेशन क्या है?

Organic Farming Certification एक सरकारी या मान्यता प्राप्त संस्था द्वारा दिया गया प्रमाणपत्र होता है, जो यह पुष्टि करता है कि किसान ने बिना रसायनों के, जैविक तरीके से फसल उगाई है। इसके आधार पर किसान अपने उत्पाद को "Organic" टैग के साथ बेच सकता है — जिससे उन्हें अच्छा दाम मिलता है।


भारत में प्रमुख दो सर्टिफिकेशन सिस्टम हैं:

  • NPOP National Programme for Organic Production APEDA (Ministry of Commerce)
  • PGS-India Participatory Guarantee System NCOF (National Centre of Organic Farming)


📏 2. खेत की साइज: क्या वाकई जरूरी है?

नहीं, जैविक सर्टिफिकेशन के लिए खेत का बड़ा होना जरूरी नहीं है। खेत की साइज कोई बाधा नहीं है। आप चाहे 0.5 एकड़ जमीन पर खेती करते हों या 10 एकड़ — आप जैविक प्रमाणपत्र के लिए आवेदन कर सकते हैं।


✔️ सरकार और सर्टिफिकेशन एजेंसियों का क्या कहना है?

PGS-India छोटे किसानों के लिए है, खासकर 5 एकड़ से कम जमीन वालों के लिए।


NPOP बड़े फार्म्स और एक्सपोर्ट करने वालों के लिए उपयुक्त है।


दोनों सिस्टम खेत के आकार को बाधा नहीं मानते — बल्कि खेती के तरीके को देखते हैं।


🧑‍🌾 3. छोटे किसानों के लिए अच्छा विकल्प: PGS India

🔸 PGS क्या है?

Participatory Guarantee System (PGS) एक लोकल कम्युनिटी-बेस्ड सर्टिफिकेशन सिस्टम है, जिसे छोटे किसान खुद समूह बनाकर प्राप्त कर सकते हैं।


🔍  PGS कैसे काम करता है?

  • 5–20 किसानों का एक ग्रुप बनता है
  • सभी सदस्य एक-दूसरे के खेतों का निरीक्षण करते हैं
  • बिना किसी थर्ड-पार्टी इंस्पेक्टर के भी प्रमाणन मिलता है
  • खर्चा बहुत कम या मुफ्त होता है


✅ PGS कौन योग्य है?

  • 0.25 एकड़, 0.5 एकड़, या इससे अधिक जमीन वाले किसान
  • समूह में शामिल होने की इच्छा हो
  • जैविक खेती के नियमों का पालन करने की इच्छा हो


💡 4. अगर आपके पास बहुत कम ज़मीन है, तो क्या करें?

बहुत से किसानों के पास सिर्फ 1 बीघा (0.25 एकड़) या 2 बीघा जमीन होती है। ऐसे में:

  • स्थिति समाधान
  • ज़मीन बहुत कम है PGS India समूह में शामिल हों
  • अगर आपके पास कोई समूह नहीं है तो आप अपने गांव में ही  4–5 किसानों को साथ ले सकते है !!
  • जानकारी नहीं है नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या जैविक मिशन कार्यालय से संपर्क करें


📋 5. जैविक सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया (PGS के तहत)

ग्रुप बनाएं (5–20 किसान)

  • PGS पोर्टल (www.pgsindia-ncof.gov.in) पर पंजीकरण करें
  • जैविक खेती की शपथ लें और मासिक रिकॉर्ड मेंटेन करें
  • एक-दूसरे के खेतों का निरीक्षण करें (peer review)
  • सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा


📉 6. छोटे किसानों को आने वाली समस्याएं

  • समस्या समाधान
  • जानकारी की कमी KVK या कृषि अफसर से मार्गदर्शन लें
  • खर्चे की चिंता नहीं  PGS India में सर्टिफिकेशन almost फ्री है
  • मार्केटिंग का डर सरकारी और NGO पोर्टल जैसे Jaivik India पर पंजीकरण करें
  • तकनीकी जानकारी नहीं PGS के प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लें


📈 7. क्या बड़े खेत वाले किसान को ज़्यादा फायदा होता है?

हां, बड़े खेत वाले किसान को उत्पादन और कमर्शियल लेवल पर फायदा हो सकता है, लेकिन छोटे किसान को भी कई फायदे हैं:


  1. बड़े किसान छोटे किसान
  2. ज्यादा उत्पादन कम लागत में खेती
  3. एक्सपोर्ट में रुचि स्थानीय बाजार में बिक्री
  4. NPOP सर्टिफिकेशन PGS सर्टिफिकेशन


दोनों का अपना-अपना महत्व है। ज़मीन की साइज जितनी भी हो — जैविक खेती का रास्ता हर किसी के लिए खुला है।


🛒 8. सर्टिफिकेशन के बाद छोटे किसान अपने उत्पाद कहां बेचें?

  • Local Organic Markets (हफ्तावार बाजार)
  • Online Platforms – जैसे BigBasket, Amazon, Organic India (सर्टिफिकेशन ज़रूरी है)
  • RWA Housing Societies – सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंच
  • Government Schemes – जैसे Jaivik Bharat Portal


🤝 9. कौन-कौन सी संस्थाएं मदद करती हैं?

  1. संस्था सहायता
  2. NCOF PGS Training और पोर्टल सपोर्ट
  3. KVK जैविक खेती और मार्केटिंग गाइड
  4. NABARD फंडिंग और ऋण
  5. NGOs किसान संगठन और मार्केट लिंकेज


📌 FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

❓1. क्या 1 बीघा ज़मीन पर जैविक प्रमाणन मिल सकता है?

हां, 0.25 एकड़ से कम भी ज़मीन पर PGS इंडिया के तहत प्रमाणन मिल सकता है।


❓2. क्या PGS और NPOP दोनों सर्टिफिकेशन में खेत की साइज मायने रखती है?

नहीं, साइज मायने नहीं रखती। बस आप जैविक विधियों का पालन करते हों।


❓3. सर्टिफिकेशन के लिए कितना खर्च आता है?

  • PGS India: लगभग मुफ्त
  • NPOP: ₹10,000 से ₹30,000 तक 


❓4. छोटे किसान कहां बेचें अपने ऑर्गेनिक उत्पाद?

  • लोकल मंडी
  • ऑनलाइन पोर्टल
  • हाउसिंग सोसाइटी, NGOs


❓5. क्या मेरे खेत का रिकॉर्ड रखना जरूरी है?

हां, हर सर्टिफिकेशन में फसल, खाद, कीटनाशक और प्रक्रिया का रिकॉर्ड जरूरी होता है।


✍️ निष्कर्ष

खेत का आकार जैविक खेती में कोई बाधा नहीं है।

अगर आप छोटे किसान हैं, तो भी आप अपने खेत के लिए जैविक सर्टिफिकेशन ले सकते हैं। PGS इंडिया जैसे प्लेटफॉर्म खास तौर पर ऐसे ही किसानों के लिए बनाए गए हैं।

ज़रूरत है तो सिर्फ जागरूकता, थोड़ी मेहनत और सही दिशा में मार्गदर्शन की।

🌱 तो अब और इंतज़ार क्यों?

खुद भी जैविक बनिए और देश को भी स्वस्थ बनाइए!





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